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Gamo ko mukadar bna liya

हमने अब गमों को, अपना मुकद्दर बना लिया
अपनी आँखों को अश्कों का समंदर बना लिया
इतना तडप कर रोया ज़िन्दगी भर ये दिल,
कि उसने खुद को अब, बेजान पत्थर बना लिया...

Pyar ki dastan kya kahiye

प्यार की दास्तां, किसी से भला क्या कहिये
खुदगर्ज़ दुनिया से, अपने अज़ाब क्या कहिये
दास्तां तो बनेगी मौत के बाद यारो,
दर्द ए दिल को, ख़ुद जुबानी भला क्या कहिये
प्यार की दास्तां खुद बता देगा ये वक़्त,
अब किसी को, अपना पराया भला क्या कहिये
भूल जाते थे ग़म जब वो पास होते थे,
अब उन गुज़रे हुए पलों को, भला क्या कहिये
आँखों की आदत होती है बस रो देना,
दिल चाहता है आज भी, तो भला क्या कहिये
अच्छा हुआ कि यार बेवफा हो गया,
हम फुरसत में जान दे दें, तो भला क्या कहिये

Taqdeer ne nacha diya hamko

तक़दीर ने मदारी की तरह नचा दिया हमको
फिर फिर उठा के फिर फिर गिरा दिया हमको
हम तो किसी को ना भुला पाये आज तक,
पर खुदगर्ज़ दुनिया ने यूं ही भुला दिया हमको
जिसके लिये अपनी हस्ती मिटा दी हमने,
उसी बेदर्द बेवफा ने जी भर रुला दिया हमको
कभी नींद नहीं आती थी नरम गद्दों पर भी,
पर इस मुकद्दर ने ज़मीं पर सुला दिया हमको...

Ab Umeed Nazar Nahi Aati

ज़िंदगी से अब कोई उम्मीद नज़र नहीं आती
संभलने की अब कोई तदबीर नज़र नहीं आती
ज़नाजा तो उठना है एक दिन ज़रूर
पर अभी से क्यों रातों को हमें नींद नहीं आती
बहुत हंसते थे औरों के बदहाल पर हम
अब तो किसी हालात पर हमें हंसी नहीं आती
अब तो चुप रहना है मज़बूरी हमारी वर्ना
दुनिया में कौन है जिसे बात करनी नहीं आती
कितना चिल्लायें हम कि वो सुन पाएँ
सुना है हमारे रोने की उन्हें आवाज़ नहीं आती
हमारी आरज़ू है कि वो सलामत रहें सदा
पर हमें अपनी ये ज़िंदगी अब रास नहीं आती...

Wo Hamesha Rulate Rahe

वो दुनिया के सामने, अपना दर्द तो सुनाते रहे
पर हमारे बदहाल पर वो, हमेशा मुस्कराते रहे
हम बांटते रहे उनका ग़म ज़िंदगी भर,
पर वो थे कि हमारे दिल को हमेशा रुलाते रहे...


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