दुनिया के मेले में खो गये सारे रिश्ते,
आज उनको संजोने को जी चाहता है
जो बेरुखी से तोड़े थे अपनों के दिल,
आज फिर से मिलाने को जी चाहता है
हम खूब झूठ बोले थे अपने आप से,
सिर्फ सच बोलने को अब जी चाहता है
यूं ही सपनों में हमारी सारी उम्र गुज़री,
अब हक़ीक़त में जीने को जी चाहता है
जो ख़्वाब देखे अपने ख़्वाबों में हमने,
आज उन्हें सच बनाने को जी चाहता है
यूं ही अंधेरों में बिता दी सारी उम्र हमने,
अब उजालों में उड़ने को जी चाहता है...

Leave a Comment


Notice: ob_end_clean(): Failed to delete buffer. No buffer to delete in /home/desi22/desistatus/view.php on line 331
0