काश ज़िंदगी भी एक किताब होती
और ये उम्र अपनी बे हिसाब होती
जो चाहते वो पन्ना पलट देते हम
अपनी जिंदगी बस अपने हाथ होती
भला यूं ही ख्वाब क्यों देखता कोई
फिर तो सारी कायनात साथ होती
दुख का पन्ना फाड़ देते किताब से
हर वक़्त खुशियों की बरसात होती
हम जुदाई का शब्द ही मिटा देते
हर वक़्त अपनों से मुलाकात होती
काश ज़िंदगी…
 

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