क्या कहूँ और कैसे कहूँ,
कि मैं क्या #लिखता हूँ..
हर #व़क्त के हर #लम्हें में,
नये #अल्फ़ाज लिखता हूँ...
अल्फ़ाजों में छुपे अपने....
मैं #एहसास लिखता हूँ...
#दिन_रात के बीते #उज़ालों में
मैं हर #बात लिखता हूँ...
हर बात में अपनी मैं,
एक बात लिखता हूँ...
जो #समझ सके हर #बात,
मैं वो बात लिखता हूँ...

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