मेरी चुप को, मेरी कमज़ोरी मत समझ लेना,
तुम अपने खयालात को, सच मत समझ लेना !
मैं सुनता हूं सभी की बात को दिल लगा कर,
जवाब न देपाना, मेरी मज़बूरी मत समझ लेना !
ये तो मेरी शराफत है कि सहता हूँ हर सितम,
मेरी इस आदत से, मुझे कायर मत समझ लेना !
मेरा तो ये उसूल है कि बात की जड़ समझूँ,
मेरे खयालात पर, मुझे पागल मत समझ लेना !
सिर्फ बातों के युद्ध में देखी हैं बर्बादियाँ मैंने,
मेरी इस बात को यारो, बे बात मत समझ लेना !
शब्दों की चोट तन पै नहीं दिल पै घाव करती है,
इस फ़लसफे को, कोरी बकबास मत समझ लेना !

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