दिल की हरकतें, जुबां पे आने लगी हैं धीरे धीरे,
अब अंदर से हसरतें, मुस्कराने लगी हैं धीरे धीरे !
बहुत जी लिए घुट घुट के अब मुश्किल है दोस्तो,
अपनों की शरारतें, दिल दुखाने लगी हैं धीरे धीरे !
हर जज़्बात को जुबां पर लाना मुश्किल है यारो,
मगर #दिल की तरंगें, सुगबुगाने लगी हैं धीरे धीरे !
वक़्त ए सलामती न पहचान आया अपना पराया,
अब लोगों की फितरतें, समझ आने लगी हैं धीरे धीरे !

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