कभी जलते थे दीप खुशियों के, अब अँधेरा हो गया,
अब तो किसी से प्यार करना, जी का झमेला हो गया !
वो चाहता है बदला चुकाना मेरी नेंमतों का दौलत से,
क्या लौटा सकेगा मुझको, जो सम्मान मेरा खो गया !
ये नादान दिल ना देख पाया उसमें उमड़ते ज़हर को,
जब तक समझ आता उसे, वो बेहद विषैला हो गया !
किस ख़ता की ये सजा है बस सोच कर हम हैरान हैं,
इतना पता तो है हमें कि, वो दुश्मन का चेला हो गया !
यूं तो तराने #प्यार के कभी हमने भी गाए थे यारो
पर दुनिया के इस रंग में, दिल फिर से अकेला हो गया !
 

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