धन तो मिल गया लेकिन,  सुकून की दौलत न मिली
घर तो मिला लेकिन हमें, रहने की मोहलत न मिली
दौड़ते रहे यूं ही झूठी शानो शौकत के लिए इधर उधर,
किसको कहें हम अपना, समझने की फुर्सत न मिली...

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