क्या कहूँ उन #लोगों को, जिन्होंने मेरा #साथ छोड़ दिया,
क्यूँ छोटी सी #बात पर उन्होंने, मेरा #हाथ छोड़ दिया...
#ख़्बाहिश थी कि निभाऊँगा उनसे #दोस्ती ता-उम्र,
पर उन्होंने पहली #मुलाकात में ही मेरा #ख़्बाव तोड़ दिया...

कैसे समझाऊँ अपने अब इस #दिल के #तार को,
उन्होंने तो मेरे #दिल का तार ही मरोड़ दिया..
क्या करूँ, कैसे करूँ कुछ #समझ नहीं आता,
मैंने भी अब #किस्मत को अपनी, अपने #हालात पर छोड़ दिया...

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