मेरी ज़िन्दगी की, बस इतनी सी कहानी है !
बस चेहरे पर बेबसी, और आँखों में पानी है !

समझा जिसे अपना, वो तो बेवफा निकला ;
सोचा था क्या हमने, मगर वो क्या निकला ;
मारना ही था तो फिर, ज़िन्दगी क्यों दे दी ;
अच्छा भला था मैं, ये शर्मिंदगी क्यों दे दी ;
यही रंजोग़म तो, मोहब्बत की निशानी है !
चेहरे पे बस बेबसी ,
मेरी ज़िन्दगी की ---

अपनों पे यकीन कर, पछताते रहे रात दिन ;
रिसते हुए ज़ख्मों को, सहलाते रहे रात दिन;
खा के भी धोखा, दिल में बिठाये रखा उसे ;
दुनिया के सामने, अपना बनाये रखा उसे ;
मेरे फूटे नसीब की, बस यही मेहरवानी है !
चेहरे पे बस बेबसी,
मेरी ज़िन्दगी की ----

यूं ही मुश्किलों में, ज़िन्दगी बिता दी हमने ;
पर कोंन पराया है, पहिचान करा दी सबने;
दूर किनारे पर खड़े, हाथ हिलाते रहे अपने ;
हमें डूबता हुआ देखा, तो मुस्कराते रहे अपने ;
पर लोग कहते हैं कि, यही तो ज़िंदगानी है !
बस चेहरे पर बेबसी,
मेरी ज़िन्दगी की ---

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