न था कोई हिसाब बाक़ी मुझ पर उसका,
फिर भी मेरा सब कुछ वो चुरा कर ले गया |
इस वक़्त मशरूफ़ हूँ बर्बादियों के जश्न में,
साथ अपने यादें भी मेरी चुरा कर ले गया |
न छोड़ा सबूत भी मेरी बेगुनाही का उसने,
मेरी वफाओं के सबूत भी चुरा कर ले गया |
छोड़ गया वो गर्दिशों का ये मंज़र मेरे लिए,
ख़ुशी की महफ़िलें भी वो चुरा कर ले गया |
अब तो ज़िन्दगी भी लगती मुझे पराई सी,
मेरे सीने से धड़कनें भी वो चुरा कर ले गया |
जियें भी तो अब जियें किसके लिए ?
मेरे जीने का बहाना भी वो चुरा कर ले गया |

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