ऐ दोस्त, सहारा औरों का तकना छोड़ दे,
ये तो वो कर देगा, ये यकीन करना छोड़ दे
हर राह में मिलते हैं यूं तो कांटे और पत्थर,
फिर भी ये दुनिया भला, कैसे चलना छोड़ दे
बदलना ही है तो खुद को बदल डालो दोस्त,
मगर ये दुनिया भला, कैसे बदलना छोड़ दे
अंधेरों से है दोस्ती तो किसी को क्या गिला,
मगर ये सूरज भला, कैसे निकलना छोड़ दे
निठल्लों को फुर्सत नहीं बातें बनाने से,
मगर मेहनती भला कैसे, काम करना छोड़ दे...

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