ज़रूरत नहीं है, किसी को भी ज़ख्म दिखाने की
बड़ी ही दिल फरेब है नज़र, ज़ालिम ज़माने की
किसी को देख कर ग़मज़दा मुस्कराती है दुनिया,
अब तमन्ना न रही, किसी को अपना बनाने की
बिना मांगे मिल जाते हैं ग़म हज़ार दुनिया में,
पर न होती ख़्वाहिश पूरी, ज़रा सा प्यार पाने की
#ज़िंदगी में किसी के भरोसे की चाहत क्या करें,
अब नहीं बची है हिम्मत, किसी को आजमाने की...

Leave a Comment


Notice: ob_end_clean(): Failed to delete buffer. No buffer to delete in /home/desi22/desistatus/view.php on line 331
0