दुनिया के दिए ज़ख्मों के, निशान अभी बाकी हैं,
हम जी रहे हैं इसलिए कि, अरमान अभी बाकी हैं !
देख कर हमें बदल देते हैं लोग अपना रास्ता अब,
शायद आते हैं वो ये देखने कि, प्राण अभी बाकी हैं !
छोड़ देते ये शहर ये गलियां सदा के लिए हम तो,
पर क्या करें कुछ लोगों के, अहसान अभी बाकी हैं !
वैसे लुट तो चुके हैं हम इस दुनिया के बाजार में,
पर घर में मेरी यादों के कुछ, सामान अभी बाकी हैं !

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