मिली है ज़िन्दगी, तो जीना भी आएगा,
दुनिया के ग़मों को, सहना भी आएगा !
अभी #उदास हैं ज़माने के सताए हैं हम,
मगर कभी तो यारो, हंसना भी आएगा !
चुप चुप के जी रहे हैं अब तलक तो हम,
पर एक दिन जुबां से, कहना भी आएगा !
हैं #नफरतें ही जिनका धरम आज कल,
कभी #मोहब्बत से उन्हें, रहना भी आएगा !
वक़्त की चट्टानों ने रोका है जिस पानी को,
बंधनों के हटते ही, उसे बहना भी आएगा !
जिधर देखता हूँ वो अपने से दिखते हैं सब,
कभी कसौटी पे, उनको कसना भी आएगा !!!

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