Apna har zakham dikhaya na kijiye
अपने आंसुओं को, आँखों से टपकने न दीज़िये.
दर्दे दिल खोल कर, किसी को दिखाया न कीजिये
लोगों का क्या वो तो तैयार बैठे हैं ,
अपना हर ज़ख्म, हर किसी को दिखाया न कीजिये
अपने आंसुओं को, आँखों से टपकने न दीज़िये.
दर्दे दिल खोल कर, किसी को दिखाया न कीजिये
लोगों का क्या वो तो तैयार बैठे हैं ,
अपना हर ज़ख्म, हर किसी को दिखाया न कीजिये
कुछ लोग काम के बोझ से डरते हैं
कुछ लोग ऑफिस में बॉस से डरते हैं
हम नहीं डरते किसी से अब,
अब हम सिर्फ बीबी के बेलन से डरते हैं
बनाने के बाद क्यों मिटा देती है दुनिया
सामने से हटते ही क्यों भुला देती है दुनिया
बस कुछ देर पहले तक उनके थे हम
पलक झपकते ही पराया बना देती है दुनिया
फंसे रहे गर भूत काल में, तो कोई खुशी नहीं मिल पायेगी
कल की चिंता में गर डूबे, तो भी खुशी नहीं मिल पायेगी
कल क्या था कल क्या होगा मत सोचो,
बस वर्तमान में जिओ नहीं तो कभी खुशी नहीं मिल पायेगी
धूल के ज़र्रे, पत्थर के टुकड़े को भी पहाड़ समझते हैं
चूहे, हल्की आवाज़ को भी शेर की दहाड़ समझते हैं
छोटे तो अदब करते हैं बड़ों का,
पर बड़ों का क्या, वो तो छोटों को कबाड़ समझते हैं