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Main Khamosh Hun Lekin

मैं खामोश हूँ लेकिन, मैं भी जुबाँ रखता हूँ !
लोगों के छोड़े तीर, दिल में जमा रखता हूँ !

न समझो कि न आता मुझे जीने का सलीका,
मैं पैरों तले जमीन, मुट्ठी में आसमाँ रखता हूँ !

मैं उडता हूँ आसमानों में बस बेख़ौफ़ हो कर,
मगर जमीं नीचे है, मैं इसका गुमां रखता हूँ !

कोई बाहर के अंधेरों से क्या डरायेगा मुझको,
मैं तो वास्ते रौशनी के, दिल में शमा रखता हूँ !

ज़िन्दगी के खेल में कल हों न हों ये क्या पता,
पर जीतने की ख्वाहिशें, मैं खामखाँ रखता हूँ !

Safai Ke Liye

पूरी दुनिया में अपना ही एक मात्र ऐसा देश है
जहाँ सफाई करने के लिए भी
मैला कपडा माँगते हैं
😀



मम्मी मैला कपडा देना, गाड़ी साफ़ करनी है 😂

Corona divide us in two

#कोरोना में हम सभी लोग,
दो भागों में बँट गए है 🙄 🤔
एक वो जो बहुत अधिक सावधानी रख रहे हैं
और दूसरे वो जो बिंदास घूम रहे हैं!
और मजे की बात यह है कि...
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दोनों ही एक दूसरे को बेवकूफ समझ रहे हैं 😂

Halke Aur Bhari Bhojan

#लॉकडाउन के दौरान
रसोई में काम किया तो पता चला कि...
ये पकौड़े, ब्रेड पकौड़े, कचौरी, पूरी, समोसे
एकदम "हल्के" भोजन हैं।
कढ़ाई में डालते ही ऊपर तैरने लगते हैं!
🤔
इतने सालों से ये डॉक्टर हमें बेवकूफ बनाते रहे
कि तली हुई चीजें मत खाओ, भारी होती हैं! 😂😂😂

Kitna Matlabi Hai Zamana

कितना मतलबी है जमाना, नज़र उठा कर तो देख
कोंन कितना है तेरे क़रीब, नज़र उठा कर तो देख

न कर यक़ीं सब पर, ये दुनिया बड़ी ख़राब है दोस्त,
आग घर में लगाता है कोंन, नज़र उठा कर तो देख

भला आदमी के गिरने में, कहाँ लगता है वक़्त अब,
कोई कितना गिर चुका है, नज़र उठा कर तो देख

क्यों ईमान बेच देते हैं लोग, बस कौड़ियों में अपना,
कितना बचा है ज़मीर अब, नज़र उठा कर तो देख

शौहरत की आड़ में, खेलते हैं कितना घिनोंना खेल,
हैं कहाँ बची अब शराफ़तें, नज़र उठा कर तो देख

जो हांकते हैं डींगें, औरों का भला करने की दोस्त,
कितने सच्चे हैं वो दिल के, नज़र उठा कर तो देख

तू समझता है सब को ही अपना, निरा मूर्ख है "मिश्र",
कितने कपटी हैं अब लोग, नज़र उठा कर तो देख