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दोहरे चरित्र के लोगों से तो, बस भगवान बचायें
क्या है उनके अंतर्मन में,कैसे क्या अनुमन लगायें
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कोई अपना बनाता है कोई नफरत
दिखाता है
कोई सपने
दिखाता है तो कोई बातें बनाता है
ये अजीब लोग हैं दुनिया के
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मुझे बड़ा दिल नहीं बस बड़ा घर चाहिये
मुझे झूठे सपने नहीं बस हकीकत चाहिये
प्यार से किसी का पेट नहीं भरता
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लोग यहाँ सीरत नहीं, सूरत को पसंद करते हैं
वे अब असलियत नहीं,
दिखावा पसंद करते हैं
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प्यार महफिलों में
दिखाने की चीज़ नहीं होता
ये बाज़ार में रखा कोई बिकाऊ माल नहीं होता
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सज्जन दौड़ रहा है इज़्ज़त बनाने के लिये
तो दुर्जन दौड़ रहा है कुचक्र चलाने के लिये
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ज़िंदगी की उलझनों में, कुछ ज्यादा ही मशगूल हो गये
जिनको दिल के करीब समझा, वो भी प्रतिकूल हो गये
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कभी हमदम बनाते हैं, कभी नफरत
दिखाते हैं
कभी आँखें मिलाते हैं, कभी आँखें
दिखाते हैं
उनकी अदा है बस ऐसी,
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वो समझते हैं कि मैं उनसे प्यार नहीं करता
औरों की तरह मैं उनकी मनुहार नहीं करता
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प्यार खरीदने वाले भी, तुम्हें अनेक मिल जायेंगे
ख्वाब
दिखाने वाले भी, तुम्हें अनेक मिल जायेंगे
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