मौत के बाद का, मेरा तज़ुर्बा बड़ा अजीब था
दुश्मन भी कह रहा था, मेरा बड़ा अज़ीज़ था
ज़िंदगी थी तो अपने पराये का झमेला था,
मगर मौत पर मेरी, हर कोई खड़ा क़रीब था
हर अदमी के चेहरे पर देखी मैंने मायूसी,
फिर चाहे बड़ा अमीर था, चाहे बड़ा गरीब था
जब ज़िंदगी थी तो क्या कमीं थी मुझमें,
बस सोचता हूँ ये कि, मेरा ही सड़ा नसीब था...
एक क़तरा आँसू भी, उनसे बहाया न गया
किसी खौफ से, अपना मुंह उठाया न गया
मेरी #मौत पर भी वो हौंसला न जुटा पाये,
शायद दाग़ ए रंजिश, अभी हटाया न गया
दामन में समेंटे हैं मेरे हज़ार गीत लेकिन,
मेरा कोई तराना, उनसे गुन गुनाया न गया
किसको कातिल कहूँ क्या बताऊँ छोडो भी,
मगर गैरों से तो खंज़र, कभी उठाया न गया...
यकीं था मुझे अपने दिले नादाँ के वहम पर,
मगर हक़ीक़त से परदा, कभी हटाया न गया...
आज कल दुनिया में यारो,
कोई किसी का #हमदर्द नहीं होता
लोग जनाज़े में भी न जाते,
गर खुद मरने का डर नहीं होता
मतलब परस्त #दुनिया में
सिर्फ अपना हित देखते हैं लोग,
आज कल किसी के पास,
गिरे को उठाने का ज़िगर नहीं होता...
उनके सारे ग़मों को, दिल में सजा लिया हमने
अपने मोम से #दिल को, पत्थर बना लिया हमने
खुशियों की आहट को जब जब भी सुना दूर से,
दिल पर उदासिओं का, पहरा लगा दिया हमने
रोशनी की कमीं न हो महसूस उनको कभी भी,
ज़रुरत पड़ी तो अपना ही, दिल जल दिया हमने
अफ़सोस कि हमें तज़ुर्बा न था #ज़िन्दगी जीने का,
बस औरों की आग मे, खुद को जला दिया हमने
ये कैसा अजीब सा #नसीब पाया है हमने भी यारो,
जो खंज़र लिए बैठे हैं, उन्हीं को दिल दे दिया हमने...
तमन्ना है मेरी कि, उनका गुनहगार बन जाऊं
उनके #गुलशन का, गुल न सही खार बन जाऊं
मैं काम का नहीं उनके तो कोई बात नहीं पर,
चाहत है, उनकी #नफ़रत का शिकार बन जाऊं
मेरी #इज़्ज़त मेरा ईमान तो उन्हीं से है दोस्तो,
मन है कि, उनके ग़मों का हिस्सेदार बन जाऊं
उनकी ख़ुशी में छुपी हैं मेरी भी सारी खुशियाँ,
हसरत है, उनकी खुशियों का पहरेदार बन जाऊं