ज़रा सी है ज़िंदगी, बस इसलिये ख़ामोश हूँ
लोग पूछेंगे क्या बात है, इसलिये ख़ामोश हूँ
सब्र का बांध कब टूट जाये क्या पता यारो,
किस्मत अभी ख़िलाफ है, इसलिये ख़ामोश हूँ
मुश्किलें ज़रूर हैं मगर अभी ठहरा नहीं हूँ ,
अभी कांटे हटाना शेष है, इसलिये ख़ामोश हूँ
मंज़िलों से कह दो कि पहचूँगा ज़रूर उनतक,
मुश्किलों में कारवाँ है, बस इसलिये ख़ामोश हूँ
सोचता हूँ बता दूं अपनी दास्ता न ए मोहब्बत
पर सब पूंछेंगे वो कोंन है, इस लिये ख़ामोश हूँ...
प्यासे के लिये एक कतरा भी बहुत होता है
डूबते हुए को तिनके का सहारा बहुत होता है
डूब जाता है दिल जब ग़मों के समंदर में तो
एक झूठे प्यार का दिखावा भी बहुत होता है
नासमझ नहीं समझ पाते सीधी सी बात भी
लेकिन अक्लमंद को इक इशारा बहुत होता है
किसी की झलक पाने को क्यों बेताब हो दोस्त
दीदार के लिये तो एक लम्हा भी बहुत होता है <3
हम महफिल से जा रहे हैं, मोहब्बत को हार के
लम्हें न भूल पायेंगे, जो पहलू में बिताये यार के
वीरान है गुलशन भी फिज़ां भी उदास दिखती है
न जाने अब कब आयेंगे, फिर से दिन बहार के
फुरसत मिले तो कर लेना याद हमारी भी यारा
तब तुमको याद आयेंगे, हर लम्हें अपने प्यार के
इक वक़्त वो भी था कि दीवानगी की हद थी
अब उम्र भर जीना पड़ेगा, यूं ही बिना दीदार के...
ज़ख्मों का दर्द, छुपा के देख लिया हमने
अपने ज़िगर को, जला के देख लिया हमने
किसी को ग़म नहीं हमारे रंज़ ओ गम का
अपना आशियाँ, जला के देख लिया हमने
अब तो देखने को नहीं बाक़ी बचा कुछ भी,
बर्बादी का राज़, सब को बता दिया हमने
वो हमारे बन कर भी हमसे दूर हो गये,
उनके अनेक चेहरों को, देख लिया हमने
कोई बिसात नहीं हमारी उनकी नज़रों में,
उनकी बेवफाई का आलम, देख लिया हमने
कोई फ़र्क़ उनकी बेवफा नज़रों में न दिखा,
उनके मोहल्ले में, जाकर देख लिया हमने
वक़्त को गुज़रना है, वो तो गुज़र जायेगा
ये दौलत का नशा भी, कल उतर जायेगा
समेट रखा है जो तूने ये सब कुछ यारा,
वक़्त की हवा में, सब कुछ बिखर जायेगा
गर डूबते हुए भी कस्ती को संभलोगे तो,
तुम न सही, तो कोई तो पार उतर जायेगा
क्यों तोड़ते हो काँच के मानिंद रिश्तों को,
कोई सा टुकड़ा, दिल में चुभन भर जायेगा
क्यों मदहोश है तू देख के गुलशन अपना,
इसे तो पतझड़, कभी भी वीरान कर जायेगा...