ज़रा देर तो ठहर, मेरे दिल से उतर के ना जा
अपनी ज़िद में आ के, हमें बर्बाद कर के ना जा
हमें गम नहीं तेरी जुदाई का सनम,
पर तू अपने दिल में, उदासियाँ भर के ना जा
समेटे थे दामन में हए दुख सुख तेरे,
तू इस तरह ज़िंदगी से, फिर बिखर के ना जा
क्या कहोगे हमारी उलफत के सवाल पे,
इस तरह बिना कुछ कहे, नज़र छिपा के ना जा
ख़ामियां तो होती हैं हर शख्स में जानम
मेरी ख़ामियों की तपिश, दिल से लगा के ना जा
यादों के सिवा कुछ भी न बचा मुझ पर
उन यादों के पुलंदों में तू, यूं आग लगा के ना जा...
ना जानें क्यों मेरा, हर भरोसा टूट जाता है
जिसको भी चाहूँ दिल से, वही रूठ जाता है
क्या #नसीब है मेरा समझ नहीं आता मुझे,
जिसका भी साथ पकडूं, अक्सर छूट जाता है
उनकी याद में, गुज़री हैं हमारी रातें अक्सर
घूमते काटी हैं, सितारों के बीच रातें अक्सर
जब दिल गुज़रता है तन्हाइयों के आलम से,
अचानक आ धमकती हैं, उनकी यादें अक्सर
कुछ कदम चल कर बरबस ठिठक जातें हैं,
हमें पुकारती हैं यूं ही, उनकी आवाज़ें अक्सर
जिधर देखता हूँ उनका चेहरा नज़र आता है,
आलम में गूंजती रहती हैं, उनकी बातें अक्सर
मुझे याद है मोहब्बत का हर लम्हा दोस्त,
आँखों आँखों में, होती थीं मुलाकातें अक्सर <3
खुदगर्ज़ दुनिया में, ए दिल तू रहना सीख ले
ज़माने के रंजो ग़म, अब तू सहना सीख ले
जो दिलों में घुस कर करते हैं घात पीछे से,
पहचान कर उनको, ज़रा दूर रहना सीख ले
क्यों घुटता है तू औरों के लिये इतना दोस्त,
सच को सच, झूठ को झूठ कहना सीख ले
उठाई हैं ज़ोखिमें कितनी तूने यारा अब तक,
अब खुदा के नाम पर, तू ना कहना सीख ले
कब तक देखेगा राह तू अपनों की ऐ दोस्त
कोई न आएगा अब, तू तन्हा रहना सीख ले