Zindagi Jee Lo Sath Yaro
गर अपना कोई साथ है, तो वक़्त गुज़र जाता है
वरना इस दुनिया में, कोंन किसको नज़र आता है
जी लो ज़िंदगी जब तक साथ है यारो,
क्या पता ये दौर ए जहाँ, फिर किधर ले जाता है...
गर अपना कोई साथ है, तो वक़्त गुज़र जाता है
वरना इस दुनिया में, कोंन किसको नज़र आता है
जी लो ज़िंदगी जब तक साथ है यारो,
क्या पता ये दौर ए जहाँ, फिर किधर ले जाता है...
किसी के ग़म, अपने बनाने को जी करता है
किसी को, दिल में बिठाने को जी करता है
आज दिल को क्या हुआ है खुदा जाने,
बुझती हुई शमा, फिर जलाने को जी करता है
आफतों ने ज़र्ज़र कर दिया घर मेरा ,
उसकी दरोदीवार, फिर सजाने को जी करता है
एक मुद्दत गुज़र गयी जिसका साथ छूटे,
आज फिर, उसका साथ पाने को जी करता है...
ज़िंदगी की पढ़ाई कभी किताबों से नहीं होती,
उसे तो दुनिया में जी कर ही पढ़ा जाता है
कहीं कोई पढाई नहीं हुआ करती संस्करों की,
उन्हें तो घर की आब ओ हवा से गढ़ा जाता है
सच में मिलावट की ज़रूरत नहीं हुआ करती,
पर झूठ को फरेबों की चाशनी से गढ़ा जाता है
कितना बदतर हाल हो गया है दुनिया का “मिश्र",
ख़ता के बदले बे-ख़ता को तमाचा जड़ा जाता है...
मेरी जैसी तक़दीर कहीं, ढूढे भी नहीं मिलती है
मुझे प्यार के बदले में, हमेशा रुलाई मिलती है
गर कहीं मुझे मिल जाये खुदा तो पूंछूगा,
उसको मुझे सताने में, कितनी खुशी मिलती है...
अपने नसीब में, अपनों का सहारा नहीं दोस्तो
कितना ही दिल लुटाऊँ, कोई हमारा नहीं दोस्तो
बड़ा ही खुदगर्ज़ समंदर है ये दुनिया,
कितने ही पैर पटको, कोई किनारा नहीं दोस्तो...