क्या सोच कर उसे दिल में बसाया हमनें
क्यों उसका हुस्न दिल पर लगाया हमने
उस पत्थर दिल ने बदल दिया रुख अपना
अफसोस कि बेवफा को अपना बनाया हमने
वो सोचते हैं कि हमें ग़म नहीं फुरक़त का
कैसे कहें कि खूब आँसुओं को बहाया हमने
उसने दिल चूर कर दिया वफा को भूल कर
पर किसी को हाल ए दिल नहीं बताया हमने
प्यार में धोखा कोई नई बात नहीं दोस्तो
इस धोखे के नाम पर सब कुछ गंवाया हमने...
ज़िंदगी के सफर में, सहारे बदल जाते हैं
दोस्तों की बात छोड़ो, अपने बदल जाते हैं
दुनिया के चलन का क्या बयान करें,
उसकी उल्टी चाल से, इंसान बदल जाते हैं...
बिना तपती धूप के छांव का मज़ा कुछ भी नहीं
बिना मुश्किलों के खुशी का मज़ा कुछ भी नहीं
गर मशाले न हों तो खाने का मज़ा कुछ भी नहीं
बिना हार देखे जीतने का मज़ा कुछ भी नहीं
बिना कष्ट झेले सफलता का मज़ा कुछ भी नहीं
बिना कुछ गंवाये पाने का मज़ा कुछ भी नहीं
कंजूस के लिये दौलत का मज़ा कुछ भी नहीं
बिना कश्मकश के जीने का मज़ा कुछ भी नहीं...
अपने बदनसीब का, हम इज़हार किस पे करें
कोई नहीं अपना सा, दिल बेक़रार किस पे करें
धोखा ही धोखा है जमाने में दोस्तो,
इस भरी दुनिया में, हम ऐतबार किस पे करें...