मैं कभी किसी की राह में, कांटे नहीं बिछाता
मैं किसी हमराह को, ग़लत राह नहीं दिखाता
हर किसी को चलने का हक़ है राहों में,
अपनी खातिर किसी को, किनारे नहीं लगाता
कोई दौड़ता है तो दौडे ये है उसका हुनर,
मैं कभी किसी के हुनर में, कमियां नहीं बताता
जीने की कला होती है सबकी अलग अलग
मैं किसी की ज़िंदगी में, अपने उसूल नहीं लगाता
उनको चाहा इतना, कि हम दीवाने हो गए
पर न जाने क्यों, वो हमसे बेगाने हो गए
वो ढूढते फिरते हैं प्यार औरों में अब,
क्योंकि हम तो अब, गुज़रे जमाने हो गए....
उल्फ़त के मारों से, मेरी दास्तां मत कहना
कभी तलबगारों से, मेरी दास्तां मत कहना
कहीं निकल न जाएं उनकी आँखों से आंसू,
कभी भी अपनों से, मेरी दास्तां मत कहना
मैं मोहब्बत और दोस्ती का कायल हूं यारो,
कभी भी दुश्मनों से, मेरी दास्तां मत कहना
बस ये अंधेरा ही मेरा मुकद्दर है अब तो,
कभी भी रोशनी से, मेरी दास्तां मत कहना
कहीं मेरे दर्द से न बिखर जाएँ वो भी,
इन हसीन वादियों से, मेरी दास्तां मत कहना
हम तो निकल जायेंगे लम्बे सफ़र पर यारो,
कभी भी इन राहों से, मेरी दास्तां मत कहना...
मैं कैसे भूल जाऊँ ये, वो कभी हमराज़ होते थे
वाह क्या बात थी उनमें, निराले अंदाज़ होते थे
वक़्त ने ये क्या सितम कर दिया हम पर,
खो गये वो शब्द उनके, जो मेरी आवाज़ होते थे...
उनके दिल में क्या लिखा है हम पढ कर बता सकते हैं
भीगी पलकों में क्या बसा है हम अब भी बता सकते हैं
ठीक है कि हमने बेवफ़ाइयों के दौर देखे हैं मगर
किस #दिल में कितना दम है हम अब भी बता सकते हैं...