Hum Kafan odh kar nikal jayenge
हम तो किसी दिन कफन ओढ़ कर निकल जायेंगे
सारी रूसबाईयों को यहीं छोड़ कर खिसक जायेंगे
गर जी न भरा हो तो और सता लो यारो,
वर्ना सब ढूंढते रह जायेंगे पर हमको न ढूढ पायेंगे...
हम तो किसी दिन कफन ओढ़ कर निकल जायेंगे
सारी रूसबाईयों को यहीं छोड़ कर खिसक जायेंगे
गर जी न भरा हो तो और सता लो यारो,
वर्ना सब ढूंढते रह जायेंगे पर हमको न ढूढ पायेंगे...
किसी के प्यार ने हमें जीना सिखा दिया
एक उजाड़ ज़िंदगी को गुलशन बना दिया
किस मुंह से शुक्रिया अदा करूं उनका
एक नाचीज़ आदमी को इंसान बना दिया
पलकों के पीछे आँसुओं को छुपाना होता है
ज़बरदस्ती चेहरे पर हंसी को लाना होता है
ये आशिकी का क्या सितम है यारो
दिल के ज़ख्मों को उनसे ही छुपाना होता है
वो दोस्त बन कर आये थे, मेरे दिल में समा गये
मेरी अधूरी ज़िंदगी में, बस प्यार बन कर छा गये
बहारों से भर दिया मेरा घर आंगन,
ये #नसीब की ही बात है, वो मेरी ज़िंदगी में आ गये
फूलों की महक या कांटों की खरास लिखूँ
या अपनों से बिगड़ते रिश्तों की खटास लिखूँ
इस ज़िंदगी में पाये धोखों की रबानी लिखूँ
या अपनों से मिले घावों की कहानी लिखूँ
इस जनता के दुख दर्द का हिसाब लिखूँ
या नेताओं के स्वार्थ पर एक किताब लिखूँ
हर दफ़्तर में घुसे भ्रष्टाचार की बात लिखूँ
या भ्रष्ट तरीके से काम कराने की बात लिखूँ
हर चेहरे पर चढ़े झूठे मुखौटों की बात लिखूँ
या किसी के ज़ज़्बातों से खेलने की बात लिखूँ
प्यार के अंधे दीवानों के बिगड़ते हालत लिखूँ
या उनकी आँखों से बहते दिलों के ज़ज़्बात लिखूँ
दिल कहता है वही लिखूँ जो दोस्तों की चाहत है,
अब तुम्हीं बताओ दोस्तो कि मैं क्या क्या लिखूँ