Shanti Swaroop Mishra

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Dil ke kareeb laun kaise

तरक़ीब तो बता ए दिल मैं उसे मनाऊँ कैसे
क्या करूं कैसे करूं उसे तेरे करीब लाऊं कैसे
उसकी जो धड़कन धडकती है तेरे अंदर
अब तू ही बता ये अहसास उसको कराऊँ कैसे...

Maa Ka Pyar Bhula Diya Humne

शहर की चका चोंध में, सब कुछ भुला दिया हमने
मिट्टी का वो घर, वो आँगन, सब भुला दिया हमने
मां की सुनाई लोरियां भी हमें याद नहीं अब,
इस शहर के शोर में, मां का प्यार भुला दिया हमने

Zindagi ka taana ulajh jata hai

जिंदगी का ताना बाना, न जाने क्यों उलझ जाता है
मैं एक छोर ढूढता हूँ, तो कहीं दूजा खिसक जाता है
सच कहा है किसी ने कि जीना आसान नहीं,
हम तो क्या, जमीं पर आकर भगवान भटक जाता है

Main dikhave ka pyar nahin karta

वो समझते हैं कि मैं उनसे प्यार नहीं करता
औरों की तरह मैं उनकी मनुहार नहीं करता
कैसे बताऊँ कि और भी ग़म हैं जमाने में,
मैं औरों की तरह दिखावे का प्यार नहीं करता

Pyar ke rog ki dawa koi nahi

प्यार का रोग ही ऐसा है जिसकी दवा नहीं होती
ये वो प्यारा सा गुनाह है जिसकी सज़ा नहीं होती
ये तो दो दिलों का युद्ध है यारो,
तब तक चलता है जब तक दोनों में रज़ा नहीं होती