Kabhi Nafrat Kabhi Pyar
कभी हमदम बनाते हैं, कभी नफरत दिखाते हैं
कभी आँखें मिलाते हैं, कभी आँखें दिखाते हैं
उनकी अदा है बस ऐसी,
कभी दिल से लगाते हैं, कभी नखरे दिखाते हैं
कभी हमदम बनाते हैं, कभी नफरत दिखाते हैं
कभी आँखें मिलाते हैं, कभी आँखें दिखाते हैं
उनकी अदा है बस ऐसी,
कभी दिल से लगाते हैं, कभी नखरे दिखाते हैं
मैं क्यों किसी के कहने से अपनी आवाज़ बदल डालूं
मैं क्यों किसी के कहने से अपना अन्दाज़ बदल डालूं
दिल से निकलने वाला एहसास है शायरी,
मैं क्यों किसी के कहने से अपने एहसास बदल डालूं
अपना घर छोड कर, ठिकाना सीमा पर बना लिया
अपनी भी माता है मगर, भारत को माता बना लिया
दुश्मनों से महफूज़ रहे हमारा वतन,
सो जान हथेली पै रख, देश को ईमान बना लिया
आँखों को बस उनका ही इंतज़ार रहता है
हर पल ये दिल उनका तलबगार रहता है
भला जीने की फुरसत ही कहाँ है हमें
दिल में सिर्फ तमन्ना ए दीदार रहता है
ये इश्क़ का खुमार, कुछ दिन में उतर जाता है
चाँद सा वो चेहरा, बुझा बुझा सा नज़र आता है
घेर लेती हैं रूसबाईयां ज़िंदगी की,
फिर वो प्यार, आफ़त का सामान नज़र आता है