Par Kimat na samjhe ehsaas ki
मैने सभी रिश्तों को बड़े जतन से निभाया था
अपनों के दिलों को अपने दिल से मिलाया था
पर कोई कीमत न समझा मेरे अहसास की
उसी ने उल्लू बना दिया जिसे जीना सिखाया था
मैने सभी रिश्तों को बड़े जतन से निभाया था
अपनों के दिलों को अपने दिल से मिलाया था
पर कोई कीमत न समझा मेरे अहसास की
उसी ने उल्लू बना दिया जिसे जीना सिखाया था
उन दर्द भरे लम्हों को मत सोचो,
कहीं फिर से न कोई पीड उभर आये
जिनको भुलाया था बामुश्किल से,
कहीं फिर से न कोई तीर निकल आये
क्यों उलझे हो अतीत के झंझट में,
आगे जीवन अभी बहुत पड़ा है,
कहीं फिरसे न कोई कील निकल आये
हमने जो वादा किया वो ज़िंदगी भर निभाते हम
हर मोड़ पर उनकी खिदमत में नज़र आते हम
पर बीच मंझधार में हाथ क्यों छोड़ दिया,
पहले इशारा किया होता दुनिया ही छोड़ जाते हम
बिना हवाओं के कभी भी पत्ता नहीं हिलता
बिना खाद पानी के कभी फूल नहीं खिलता
गांठ में नोट हों तो प्यार की सोचिये,
आजकल यहां प्यार भी मुफ़्त में नहीं मिलता
जिसको वफा की कद्र नहीं, वो बेवफाई की कीमत क्या जाने
जिसको प्यार की कद्र नहीं, वो नफरत की कीमत क्या जाने
जिसने जीना कभी सीखा ही नहीं,
वो दुनिया के इस खेले में, भला मरने की कीमत क्या जाने...