Shanti Swaroop Mishra

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Janaze mein uski kami thi

देखा किया जो मैंने, हर आँख में नमी थी,
मगर मेरी आँख तो, कहीं और ही जमी थी !
हर कोई नज़र आ रहा था मेरे ज़नाज़े में,
मगर जो दिल के पास था, उसकी कमी थी !
ऐसे वक़्त में तो दुश्मन भी पिघल जाता है,
आखिर मेरे नसीब में ही, कौन सी कमी थी !
शायद न पिघल पायी कोशिशों के बाद भी,
जो बर्फ अदावत की, उसके सीने में जमी थी !
न थी तमन्ना कि दिल दुखाऊँ किसी का मैं,
मगर #ज़िन्दगी में मेरी तो, बस रस्सा कशी थी !

Kabhi to bahar aayegi

कभी तो बहार आएगी, कभी नूरे चमन बदलेगा ,
ख़ुदा पे है यकीं इतना कि, कभी तो करम बदलेगा !
आएगा कभी होठों पे किलकारियों का मौसम भी,
यारो कभी तो ज़र्द चेहरे का, कुछ तो रंग बदलेगा !
हम आज तो बदनाम हैं पहचानता हमें कोई नहीं,
कभी तो दिल से लोगों के, वो पुराना भरम बदलेगा !
कुछ भी न बदला अब तक सब कुछ तो है वैसा ही,
जीता रहा इस आस में कि, कभी तो वतन बदलेगा !!!

Mohabbat Na Rahi Ab

कुछ कहने की कुछ सुनने की, हिम्मत न रही अब,
यूं हर किसी से सर खपाने की, हिम्मत न रही अब !
हम भी बदल गए हैं तो वो भी न रहे बिल्कुल वैसे,
सच तो ये है कि उनको भी, मेरी ज़रुरत न रही अब !
अब फ़ुरसत ही नहीं कि कभी उनको याद कर लें,
ख़ैर उनको भी हमारे जैसों से, #मोहब्बत न रही अब !
देखना था जो तमाशा सो देख लिया इस जमाने ने,
मैं तो भूल गया सब कुछ, कोई #नफ़रत न रही अब !
सोचता हूँ कि जी लूँ कुछ पल और #ज़िंदगी के बस ,
यूं भी वक़्त का मुंह चिढ़ाने की, फ़ितरत न रही अब !

Maut Ka Saaman Dhoondta Hai

न बची जीने की चाहत तो मौत का सामान ढूंढता है,
क्या हुआ है दिल को कि कफ़न की दुकान ढूंढता है
समझाता हूँ बहुत कि जी ले आज के युग में भी थोड़ा
मगर वो है कि बस अपने अतीत के निशान ढूंढता है
मैं अब कहाँ से लाऊं वो निश्छल प्यार वो अटूट रिश्ते
बस वो है कि हर सख़्श में सत्य और ईमान ढूंढता है
दिखाई पड़ते हैं उसे दुनिया में न जाने कितने हीअपने
मगर वो तो हर किसी में अपने लिए सम्मान ढूंढता है
मूर्ख है "मिश्र" न समझा आज के रिश्तों की हक़ीक़त
अब रिश्तों से मुक्ति पाने को आदमी इल्ज़ाम ढूंढता है...

Zindagi Ke Uljhe Sawal

कुछ देखा हुआ सा, कुछ परखा हुआ सा लगता है,
ज़िन्दगी का हर सवाल, उलझा हुआ सा लगता है !
बढ़ जाती हैं बेचैनियां कभी कभी इस कदर दोस्तो,
कि दिल का कोई टुकड़ा, खोया हुआ सा लगता है !
बनाया था जो हमने कभी महल सपनों का जतन से,
कभी कभी बस यूं ही हमें, बिखरा हुआ सा लगता है !
न रहीं वो महफ़िलें न रहीं वो दोस्तों की ठिठोलियाँ,
#ज़िन्दगी का हर कदम, मुझे ठहरा हुआ सा लगता है !
वक़्त का सितम बदल देता है# नसीब कुछ इस तरह ,
कि हर तरफ ग़मों का धुआं, गहरा हुआ सा लगता है !