रंगा है उनका खंज़र भी, मेरे ही खून से !
कर गए वो क़त्ल मेरा, बड़े ही सुकून से !
नहीं था पता कि क़ातिलों की गली है ये,
हार बैठा सब कुछ मैं. अपने ही जूनून से !
न रहे वो दोस्त न रहा वो अपनापन ही,
अब लगता है डर हमें, अपने ही खून से !
इंसानियत कैद है सिर्फ किताबों में दोस्त,
कुछ न होगा अब, उसमें लिखे मज़मून से !
ख़ुशी से जीने के लिए, ज़रा सा प्यार काफी है
नहीं है चाह मिलने की, बस इंतज़ार काफी है
कोई बात नहीं कि कोई हमसे दूर है कितना,
दूर रह कर भी, #मोहब्बत का इक़रार काफी है
बस बहुत है कि पूंछते है वो खैरियत हमारी,
खुदाया उनकी मेहरबानी का, इज़हार काफी है
बस हमारे लिए तो खास हैं उनकी भूली यादें,
वो आते रहें ख्वाबों में, इतना ऐतबार काफी है
जो लिखा #नसीब में उतना ही मिलेगा दोस्त,
बस ग़फ़लतों में जीने का, थोड़ा क़रार काफी है
दुनिया की सारी दौलतें भी, हैं भला किस काम की,
अपनों के बिन ये शौहरतें भी, हैं भला किस काम की !
उनकी रौनक से रोशन था मेरा ये घर आंगन कभी
अब तो सूरज की रोशनी भी, है भला किस काम की !
ग़म है तो सिर्फ इतना कि दूर हो गये मुझसे अपने
अब तो जीने की चाहत भी, है भला किस काम की !
वो न समझें इस दर्द को ये तो है उनकी मर्ज़ी दोस्त,
अब तो फिज़ूल में ये सोच भी, है भला किस काम की !
उनका दिया हर रंजो गम, हमें अच्छा लगता है,
उनका ढहाया हर सितम, हमें अच्छा लगता है !
सुकून मिलता है उनकी दी हर चोट से दिल को,
रिसते ज़ख्मों को सहलाना, हमें अच्छा लगता है !
उनकी जफ़ाओं से दिल लबरेज़ रहता है हर दम,
पर उनके लिये आंसू बहाना, हमें अच्छा लगता है !
मेरी तड़प से गर वो खुश हैं तो शिकवा नहीं दोस्त,
उनकी खुशियों का हर ढंग, हमें अच्छा लगता है !
अपनी तो ज़िन्दगी का, बस फ़साना बन चुका है,
था दिल के क़रीब जो भी, वो बेगाना बन चुका है !
ये #चेहरे की मुस्कान तो बस दिखावा है यारो,
वरना तो दिल का हर कोना, अंजाना बन चुका है ! #ज़िन्दगी के सफर में न दौड़ पाए तेजी से यारो,
हम तो रह गए अकेले, आगे ज़माना निकल चुका है !
न समझ पाए हम तो दुनिया का ये गोरख धंधा,
रास्ते तो वही हैं मगर, अब आना जाना बदल चुका है !
सच्चाई और नेकी तो छूट गए बहुत पीछे दोस्तो,
हम से आगे मक्कारियों का, कारखाना निकल चुका है !