मतलब परस्त लोगों पर, ऐतबार क्या कीजे
दिलों में है बेरुखी, किसी से प्यार क्या कीजे #तन्हा जीना भी कोई जीना है दोस्तो, मगर
जो बेदर्द चला गया, उसका इंतज़ार क्या कीजे
जो तोड़ते हैं #दिल को एक खिलौना समझ कर,
ऐसे बेवफा दरिंदों पर, दिल निसार क्या कीजे #ज़िंदगी तो बस एक झंझटों का झमेला है दोस्त
गुज़र गयीं जो आफतें, उन पे विचार क्या कीजे...
आज क्यों हैं ये आंसू यूं छलछलाते हुए
गुज़र गयीं मुद्दतें किसी को भुलाते हुए
उधर खाली पड़ी हैं पगडंडियां दूर तलक
बस चल रहे हैं अकेले हम लड़खड़ाते हुए
वो #वक़्त वो समां तो कब का गुज़र गया
बस जल रहे हैं कुछ दीये टिमटिमाते हुए #ज़िन्दगी की शाम है अब सोचना है क्या
बस गुज़रते जा रहे हैं #लम्हें सनसनाते हुए
आती हैं जब कभी याद वो शहनाइयां ,
बस गुज़र जाते हैं कुछ पल गुनगुनाते हुए...
रहना है इस शहर में, तो अपनी फितरत बदल डालो #अजनबी शहर में, अपनी झूठ की इबारत बदल डालो
ज़िन्दगी में बहुत कर चुके अपनी मनमानी तुम,
रहना है अगर प्यार से, तो अपनी #आदत बदल डालो
लाख दुश्मनी सही फिर भी #रिश्ते नहीं तोड़े जाते,
तुम ही ख़ुदा हो सबके, अपनी ये कहावत बदल डालो
इस #जीवन की रंगोली में नफरत के रंग न भरिये,
इस में #मोहब्बत के रंग भर कर, सजाबट बदल डालो #नफरतों की दीवारों को जल्द गिराना होगा,
वर्ना तो बंटते रहेंगे आँगन, नज़रे हिक़ारत बदल डालो
हम तो तेरे दिल में फूल खिलाने चले आये
तेरे ग़मों को अपने दिल में बसाने चले आये
अफ़सोस तोड़ दिया तूने मेरे दिल का भरम
खुदाया हम तो अपनी जान लुटाने चले आये
न कर बेवफाई इतनी इस नादान दिल से तू
हमतो इसकी खातिर हस्ती मिटाने चले आये #दिल के कोने में पड़ी तेरी सभी यादें समेंट कर
हम तो तुझे तेरी ही तस्वीर दिखाने चले आये
तेरे दिल में क्या है #दोस्त ये तो बस ख़ुदा जाने
मगर हम तो बस यूं ही तुझे आजमाने चले आये
किसी से मोहब्बत हम, निभाएं तो कैसे निभाएं
हर तरफ हैं कांटे, खुद को बचाएं तो कैसे बचाएं #मोहब्बत हर किसी के मुक़द्दर में नहीं होती,
दिल में जीने की तमन्ना, जगाएं तो कैसे जगाएं
अब अपने भी साथ नहीं दिया करते अपनों का, #ज़िन्दगी के हसीन सपने, सजाएँ तो कैसे सजाएं
सोचते हैं कि डुबो दें दुनिया को ख़ुशी के रंग में,
मगर खुशियों के रंग, हम बनायें तो कैसे बनायें
बद्किस्मत हैं वो जो नफरतों का बोझ ढोते हैं,
उनके ज़िगर में, #प्यार को बसायें तो कैसे बसायें...