अपनों की ख़ुशी, दुनिया के ग़म भुला देती है
नेक दिली, एक आदमी को इंसान बना देती है
ज़रा संभल के चलना ज़िंदगी की डगर पर,
ज़रा सी भी चूक, आदमी को शैतान बना देती है
न करो इच्छा किसी से मदद पाने की दोस्त,
औरों की मदद, आदमी को नाकाम बना देती है
जो चीज़ अपनी है उस पर भरोसा करो,
दीगर की चाहत, आदमी को बेईमान बना देती है
एक टीस है दिल में, जिसे ज़माने से छुपाये बैठा हूँ
किसी की ज़फ़ाओं का सदमा, दिल में बसाये बैठा हूँ
गर चर्चा भी करूँ तो रो देता है ये नादान दिल,
कहीं हो न जाये वो बाग़ी, उसको मैं बहलाये बैठा हूँ
पता है कि चाँद सितारे न आएंगे जमीं पर कभी,
मैं फिर भी उन्हें, तोड़ लाने की ज़िद बनाये बैठा हूँ
न समझ लेना कि मैं इक पागल दीवाना हूँ कोई,
मैं तो पूरे होश में, #मोहब्बत का दीया जलाये बैठा हूँ
लगता है कि ज़िन्दगी यूं ही गुज़र जाएगी,
फिर यूं ही किस के वास्ते, झूठी आस लगाये बैठा हूँ...
किसी की बेवफाई पे, दिल हर पल लरजता है
चेहरे पर मुस्कान, पर अंदर तूफ़ान मचलता है
कोई देखे #दिल चीर के तो पता चले यारों को,
उसके हर कोने में, उसका ही अक़्स झलकता है
न माँगा ज़िन्दगी में कुछ अपने लिए ख़ुदा से,
दिल है की बस, उसकी ख़ुशी के लिए तड़पता है
नफरतों की बस्ती में ज़रा से प्यार की खातिर,
इस नादान दिल को, ज़माना बेभाव झिडकता है
अब कहाँ उड़ गए वो #मोहब्बत के परिंदे,
प्यार के उपवन में, हर डाली का दिल सिसकता है
तेरे साथ कितनी थी हसीन ज़िंदगी
अब तेरे बिन है ये एक सज़ा ज़िंदगी
तेरा साथ था कितने मज़े में थे हम
अब तेरे बिन है बड़ी बेमज़ा ज़िंदगी
तूने ही संवारा था कभी जतन से इसे
खुद ही क्यों उज़ाड़ दी बेवजह ज़िंदगी
हमने तो तुझ में हमेशा ही देखा ख़ुदा
उसने ही बना के क्यों मिटा दी ज़िंदगी ?
दिलों में नफ़रत, चेहरों पर मुस्कान रखते हैं
वो नज़रों से छुपा कर, तीर कमान रखते हैं
मौका मिलते ही उतार देते हैं तीर दिल में,
ग़ज़ब है कि फिर भी, वो शीरी ज़ुबान रखते हैं
कैसा ये शहर यहां हर तरफ यही शोर है, कि
यहाँ के लोग अपनी जेबों में, ईमान रखते हैं
किसी भूखे को एक निबाला न दे सके कभी,
फिर भी ज़न्नत पाने का, वो अरमान रखते हैं...