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Shanti Swaroop Mishra
Dil bechain sa kyon hai?
यूं चहरे पे हवाइयां, दिल बेचैन सा क्यों है
क्या हुआ है #शहर को, ये बेजान सा क्यों है
यहाँ चल रही हैं आजकल ये कैसी हवाएँ,
इस शहर में हर तरफ, कोहराम सा क्यों है
पत्थरों की दुनिया पत्थर #दिल लोग यहाँ,
है #ज़िंदगी मगर, यहाँ पे शमशान सा क्यों है
फूलों के चेहरे भी जाने क्यों ग़मगीन हैं इतने,
आज #गुलशन का हर कोना, वीरान सा क्यों है
हर शख्स परेशान है सिर्फ अपने लिए यारो,
गैरों के लिए इन्सां, इतना बदनाम सा क्यों है ?
Pehle si mohabbat na rhi
कोई रो रहा है यहाँ, तो कोई हंस रहा है
कोई किसी पर, विषैले तंज़ कस रहा है
कोई बुन रहा है बैठ कर फरेबों के जाल,
कोई अपने ही जाल में, खुद फंस रहा है
यही है कहानी नगर नगर की दोस्तो, कि
कपट का सांप, हर किसी को डस रहा है
अब न रही पहले सी #मोहब्बत,
हर दिल में, नफ़रत का ज़हर बस रहा है...
Kisko hamdard samjhe
किस को हकीकत कहें, किस को वहम समझें
किस को कमतर कहें, किस को अहम समझें
दिखते हैं दूर से तो सब अपने से लेकिन, इसे
नज़रों का वहम कहें, या ख़ुदा का रहम समझें
एक से एक बढ़ कर हैं शातिर इस दुनिया में,
खुदाया किसको ज्यादा कहें, किसको कम समझें
रिश्तों पे चढ़ा रखा है दिखावे का पानी "मिश्र",
अब किसको हमदर्द कहें, किसको बेरहम समझें
Zindagi tanha ho gayi
एक ज़िन्दगी थी, वो भी तन्हा हो गयी
जीने की #तमन्ना, न जाने कहाँ खो गयी
#दिल था अपना वो भी बे वफ़ा हो गया,
मुकद्दर की कुंजी, न जाने कहाँ खो गयी
ख़त्म हो गयीं दिल की तमाम ख्वाहिशें,
देखते ही देखते, #ज़िंदगी की शाम हो गयी
कल देखा था #ख़्वाब हमने हसीन कल का,
पर कल की तो हर बात ही, बेजुबाँ हो गयी
सीखा था हमने भी जीने का तरन्नुम,
मगर सुरों की ताज़गी, न जाने कहाँ खो गयी...