आज नसीब साथ है, तो उसका सबब तुम हो
खुशियाँ मेहरवान हैं, तो उसका सबब तुम हो
मैं कैसे न लुटा दूं जान तुम पर सनम,
मेरी साँसें मेरे साथ हैं, तो उसका सबब तुम हो
इस ज़माने के कितने रंग देखे हैं मैंने,
वो दुनिया मेरे साथ है, तो उसका सबब तुम हो
पतझड़ ने तोड़ फेंका पत्ता पत्ता जिसका,
गुलशन में फिर बहार है, तो उसका सबब तुम हो
जो दिल डूबा था कभी मुस्तक़िल अंधेरों में,
हर कोना उसका रोशन है, तो उसका सबब तुम हो...
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