मुझको बेसबब, सर झुकाना बुरा लगता है
यूं ही मकर से, आंसू बहाना बुरा लगता है
जो दिल और चेहरे को रखते हैं अलहदा,
ऐसे शातिरों से, दिल लगाना बुरा लगता है
अपने बूते पे गुमाँ है तो करिये फतह मगर,
किसी की, बेबसी को भुनाना बुरा लगता है
उड़िये, किसने रोका है तुम्हारी परवाज़ को,
मगर किसी को, नीचे गिराना बुरा लगता है
जीता है हर आदमी अपनी तरह से "मिश्र",
मगर खुद को, ऊंचा दिखाना बुरा लगता है

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