नहीं रहे वो दिन जब बच्चे, बड़ों का वचन निभाया करते थे
स्थिति चाहे जैसी भी हो, उनका हर कथन निभाया करते थे
इस बदले वक़्त ने ये सब भुला दिया,
हम बुज़ुर्ग कभी इन बच्चों के, हर धरम निभाया करते थे

समय बदल गया, अब अपने को, आगे ज्यादा मत कीजिये
अपनी सन्तान के बल पर, किसी से कोई वादा मत कीजिये
आपकी शान बचे न बचे कुछ पता नहीं,
बेहतर यही है कि, अपनों के भरोसे कोई इरादा मत कीजिये

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