मन को भा जाए अगर, तो ज़रा सी बात काफी है,
ज़िन्दगी जीने के लिए, अपनों का साथ काफी है !
अपने ज़मीर को बचाए रखना आसान काम नहीं,
बदनाम के लिए तो बस, एक ख़ुराफ़ात काफी है !
मारने के लिए भला खंज़र की क्या ज़रुरत दोस्त,
जो दिल को भी चाक कर दे, बस वो बात काफी है !
क्यों टूट जाते हैं ज़िन्दगी भर के अटूट रिश्ते यूं ही,
जबकि बचाने के लिए बस, एक मुलाक़ात काफी है !
क्यों बनाए चले जाते हैं लोग महल सपनों के ,
जबकि असलियत के जज़्बे की, करामात काफी है !

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