आया बुरा वक़्त, तो अपनों ने साथ छोड़ा,
आयी जब रात, तो ख्वाबों ने साथ छोड़ा !
वादा किया था ताउम्र साथ देने का उसने,
मगर देखे हालात, तो उसने भी साथ छोड़ा !
ग़मों के दरिया में न दिखती कोई कश्ती,
आया इक सैलाब, तो किनारों ने साथ छोड़ा !
लिखा है रोना ही अपने तो मुकद्दर में,
तमन्ना है जीने की, तो साँसों ने साथ छोड़ा !!!

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