गुज़रे हुए ज़माने, कभी भुलाये नहीं जाते ,
कभी अपनों से मिले ग़म, बँटाये नहीं जाते !
ज़रा महफूज़ रखिये अश्क़ों को आँखों में,
किसी को जिगर के धारे, दिखाए नहीं जाते !
कहीं छुपा के रख लो अपने सुनहरे लम्हें,
कभी ख़ुशी के वो ख़जाने, लुटाये नहीं जाते !
चाहत है अपनों की तो ज़रा गौर से परखो,
यूं ही फ़िज़ूल में दिन बुरे, बुलाये नहीं जाते !
छोड़ो बात सब की खुद को बदलो "मिश्र",
यूं ख़ुदग़र्ज़ी से इधर काम, चलाये नहीं जाते !!!