उनके लिये भला मैं, क्या अल्फाज़ कहूँ
उन्हें बेवफा कहूँ, या कि धोखेबाज़ कहूँ
तिल तिल मिटा दी ज़िंदगी जिनके लिये,
उन्हें मैं क़ातिल कहूँ, या कि दग़ाबाज़ कहूँ
जज़्बात उमड़ते रहे #दिल के अंदर सदा, पर
सोचता ही रहा मैं, कल कहूँ कि आज़ कहूँ
तमाम उम्र गुज़र गयी साहिल पे आते आते
इसे ज़िंदगी का अन्त कहूं, कि आगाज़ कहूं ?

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