भाई छुट्टे पैसों का तो ये आलम है की....
पहले छुट्टे पैसे होते थे तब टॉफ़ी खाते थे
और
अब छुट्टे पैसे ना होने पर
टॉफ़ी खानी पडती है।
भाई छुट्टे पैसों का तो ये आलम है की....
पहले छुट्टे पैसे होते थे तब टॉफ़ी खाते थे
और
अब छुट्टे पैसे ना होने पर
टॉफ़ी खानी पडती है।