कभी भी जीत पे अपनी, फड़कना मत यारो,
कभी भी हार पर अपनी, भड़कना मत यारो !
ये जो #ज़िन्दगी है बस चलती रहेगी ऐसे ही,
कभी ईमान की डगर से, भटकना मत यारो !
न जाएंगी चल कर साथ ये दौलतें ये सौहरतें,
कभी अपने किये सुकर्म से, पलटना मत यारो !
हसरतों का क्या है वो तो मचलती हैं हरदम,
कभी वक़्त के सैलाब से, अटकना मत यारो !
इस दुनिया में साथ सबका ज़रूरी है "मिश्र",
अपनी ही ताल पर ख़ालिस, मटकना मत यारो !