आंसुओं को देखा तो जुबां हिला न सके
दिल में दबे तूफ़ान उनको दिखा न सके
दिल खो गया अंधेरों के आगोश में कहीं
उनकी आँखों से आँखें हम मिला न सके
बेखबर चले आये थे उनकी महफ़िल में
अफ़सोस कि दिल का अँधेरा मिटा न सके
देखते रह गए अपने अरमानों का हशर हम
अपने आंसुओं को पलकों में छिपा न सके
ये तक़दीर भी क्या गुल खिलाती रही ,
हारे हुए दिल को कभी भी हम जिता न सके

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