कभी दिल टूट गया, तो कभी सपने बिखर गये
कभी गैरों की कशमकश में, अपने बिखर गये
टुकड़ों में ज़िंदगी जी है मैंने अब तक,
इन टुकड़ों को बटोरने में, सारे अरमां बिखर गये
कभी दिल टूट गया, तो कभी सपने बिखर गये
कभी गैरों की कशमकश में, अपने बिखर गये
टुकड़ों में ज़िंदगी जी है मैंने अब तक,
इन टुकड़ों को बटोरने में, सारे अरमां बिखर गये