दूर से तो हर चेहरा, सुन्दर नज़र आता है,
क़रीब से खोटों का, समंदर नज़र आता है !
बनायें तो कैसे बनायें शीशे का ताज महल,
इधर तो हर हाथ में ही, पत्थर नज़र आता है !
ये सफ़र #ज़िन्दगी का इतना भी नहीं आसां,
हर कदम पर इसके, वबंडर नज़र आता है !
चेहरों का नूर भी अब दिखावा सा लगता है,
यारो असली तमाशा तो, अंदर नज़र आता है !
किस तरह बदली है ज़माने की फ़िज़ां दोस्तो,
इधर तो हर आदमी, कलंदर नज़र आता है !!!