हर मुश्किल में, साथ निभाता है दोस्त
हमारे ग़मों को, अपना बनाता है दोस्त
खून के रिश्ते छूट जाते हैं पीछे, मगर
मरने दम तक, रिश्ता निभाता है दोस्त
मतलब के रिश्ते हैं इस दुनिया में अब,
मगर निस्वार्थ दोस्ती, निभाता है दोस्त
भाग जाता ज़रुरत पे खून अपना, मगर
ऐसे वक़्त पर नज़र, सिर्फ आता है दोस्त

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