जो कभी दुश्मन थे, अब वो उनके यार हो गए,
हर मुश्किल में दिया साथ, हम बेकार हो गए !
कभी खाते थे वो कसमें हमारे नाम की दोस्तो,
मगर उनके लिए अब हम, गुज़री बहार हो गए !
कभी होती थी गुफ़्तगू हमारे अंदाज़ की दोस्तो,
हम वही हैं मगर, उनके लिए अब गंवार हो गए !
मतलब से बनते बिगड़ते हैं ये रिश्ते अब ज़नाब,
अब रिश्ते भला रिश्ते कहाँ, बस व्यापार हो गए !
मुकद्दर भी कैसे बदलता है अपनी करवटें दोस्त,
कि कल तक थे मददगार, अब गुनहगार हो गए !

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