आज कल कहीं से सुकून की खबर नहीं मिलती
बेचैनियां इस कदर हैं चैन की सांस नहीं मिलती
जिधर देखता हूँ सैलाव नज़र आता है ग़मों का
मुस्कराएं भी कैसे ग़मों से फुरसत नहीं मिलती

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