ना जाने कितने मौसम गुजर गये तु जो गयी तबसे एक ही मौसम चल रही हैँ
बरसात की जो मेरे आँखोँ से दिन रात ठहर ठहर गरज गरज के बरसते हैँ ।
देखने को तेरी एक नजर मेरी सूरत तरसते हैँ ।
तु सो गई होगी चैन से पर मेरी आँखे सोने से पहले बरसते हैँ
भीँग जातेँ हैँ बदन फिर नीँद किसे आतेँ हैँ
तेरा गम भुलाने को फेसबुक चलाते हैँ
अपना सुख दुःख दोस्तोँ को सुनाते हैँ
तुने वफा ना की अब हम सब वेवफा नाम तुझे दे जातेँ हैँ
कल मिलेँगे दोस्तोँ आज वेवफा के लिऐँ मर जाते हैँ

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