हो जाएं दीदार उनके, तो इनायत होगी
मेरे दर्द ए दिल में, कुछ तो राहत होगी
हर ख़ता की सज़ा कबूल कर लेंगे हम,
गर साफ दिल से, उनकी इजाज़त होगी
ग़म के फसाने न सुनायेंगे हम उन को,
गर उन्हें सुनने में, कोई शिकायत होगी
रो लेंगे दिल खोलके कभी अकेले में हम,
मेरे बे पनाह सब्र की, गर इजाज़त होगी...

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